Haiku by Hemant Lodha
है बीती रात
जन्मी ढेर आशायें
हो सुप्रभात।
स्वस्थ रहे
नैसर्गिक सुन्दरता
तन व मन।
प्रेम का रस
जब डालो सेवा में
सब सरस।
मैं ही मैं बसा
मैं में शहर फँसा
गाँव में मैं था।
साल जाने दो
छोड़ो ना कभी साथ
थाम लो हाथ।
प्यार नहीं है
रिस रिस के चले
ये कैसे रिश्ते?
हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ
जैसा तुम समझो
ना ना ना ना ना
ज्ञान गंगा है
अजर अमर है
अविनाशी है।
रचनाएँ है
चाय की चुस्कियाँ है
ओर क्या चाहु?
बाप्पा मोर्या रे
हर घर पधारे
ख़ुशियाँ भरे।
बापा मोरियाँ
स्वागत है आपका
लवकर या।
रक्षा का वादा
कच्चा धागा जो बांधा
प्रेम बंधन।
मौन का अर्थ
जानेंगे जब हम
शब्द हो व्यर्थ।
गूगल गुरु
अलादीन चिराग़
हर जवाब।
गुरु जला दे
ज्ञान मय दीपक
अज्ञान भागे।
काम ही काम
कमाल के कलाम
तुम्हें सलाम।
क्षितिज भ्रम
नभ से घिरी धरा
बाँहों में भरा।
उत्साह सदा
उदासी यदा कदा
ख़ुशियाँ ज़्यादा।
समन्वय है
चुप्पी और आँखों में
दिल समझे।
आएगी आँधी
विचारों का मंथन
इंतज़ार है
बूँदों की लय
जब बीज से मिले
अंकुर फूटे।
सूरज जैसे,
कैसे बनाये रखु?
अतिउत्साह।
समय चक्र
अभिमान न कर
भाग्य का खेल।
उच्च विचार
उत्तम हो उच्चार
शुभ आचार।
शक्ति है एक
चलाती है सबको
नाम अनेक।
खुदा के बंदे
आसान है डगर
खुदा से डर।
जड़ की छोड़ो
नींव की कौन सोचे
माँ भी भूला दे।
सेवा कर्तव्य
डाक्टर हो या सीए
सब किजीए
तन या मन
चिकित्सक नमन
स्वस्थ करते।
ज़र्रा या इंशा
खुदा की है नेमत
ख़फ़ा हो मत।
जन्नत क्यों
गुनहगार सब
बता ए रब।
आँखो में देखु
डर ख़ुद डरता
डर मरता।
जो दिल में हैं
आँखो मे तू क्यूँ झाँके
जुंबा पे भी है।
आँख का पानी
गिरने मत देना
आँखो से पानी।
पेट में बंदा
चेहरा भी ना देखा
माँ प्रेम अंधा।
आई विपदा
वर्षा आँसू का पर्दा
दुख छुप जा।
छत टपके
किसान हाथ जोड़े
बरसो प्रभु।
अष्टांग योग
यम से समाधी का
करे प्रयोग।
दूध है हम
जो आवे घुल जावे
शक्कर तुम।
प्रेम करुणा
परम्परा हमारी
भक्ति अहिंसा।
है हर वक़्त
प्रतिक्षा भविष्य की
आज में जी लो।
सुनो चित्कार
रोये है ये धरती
मानव जाग
बादल चीर
थोड़ा है इंतज़ार
निकले नीर।
कम कमाना
निरंतर कमाना
यश कमाना।
कोख में जानी
अपनी पहचान
माँ तु महान।
सक्षम जीये
प्रकृति ले परीक्षा
ये ही जीवन।
मन ही गुरु
जलाओ ऐसी ज्योत
केवल ज्ञान।
भटके सब
फिर गुरु है कौन
असंमंजस।
सूर्योदय है
देखने का भ्रम है
सूर्यास्त भी है।
है सर्वभौम
प्रेम ज्ञान व कर्म
है मूलमंत्र
पत्थर पूजे
उसमें प्राण फुंके
क्यों हो पत्थर।
हम है हम
कैसा है ये वहम
मेरा अहंम।
बुद्ध शरण
दलितों का उद्धार
भीम चरण।
आज का प्रण
सम्मान स्नेह प्रेम
स्त्री को अर्पण
ना उड़े कभी
पँहुचू लक्ष्य तक
प्राण पखेरु
कर्मो का हल
सफल या विफल
चलाते रहो।
संभाल लु मैं
सामने करे वार
पीठ छलनी।
सुख व दुख
सिक्के के दो पहलु
अपना भाग्य
आत्मा अटल
जन्म मृत्यु से परे
कभी ना मरे
सुख दुख में
आप सबका साथ
धूप छॉव मे।
प्रात: नमन
जीवन में सुमन
खिले आपके।
माँ की आसीश
हमेशा है हाजीर
ना कोइ फ़ीस।
चाँद ओझल
आशा भरी किरणें
सूर्य निकला।
प्रेरणा आप
मेरे आदर्श रहे
अनंत काल।
मजबूत थी
डोर कच्चे धागे की
मोहब्बत थी।
देखो नीयत
आत्मा के आयने मे
हो ख़ैरियत।
ईश्वर तु है
सबके भीतर में
हर में तु है।
जो “हम” में है
वो बात ना तुम में
ना मुझ में है।
नशा कोई भी
तकलीफ़ करेगा
हो किसी को भी
ना मेरा वक़्त
किसी का सगा नहीं
ना तेरा वक़्त
बातों मे सार
हाइकु का प्रचार
बढ़ता प्यार
वार्तालाप हो
कभी भी आपस में
हाइकु में हो
५७५ वाह
गागर मे सागर
हाइकु वाह
हे रामपाल
कैसी है तेरी चाल
हुआ बेहाल
न जन्म कुछ,
आँख का झपकना,
ना मृत्यु कुछ।
ख़ुद गर्ज हुँ,
भला कर ना सका,
बुरा भी नहीं।
पन्ने लिखे जो,
पसीने की स्याही से,
वो सिकंदर।
विरोध छोड़ो,
अवरोध हो दूर,
जीना सहज।
ना मैं हुँ खुदा,
इंसान बन जाए
ना तु है खुदा।
पानी में देखा
अपने चेहरे में,
तुम को पाया।
चाँद को देखा,
शीतल चाँदनी में,
तुम को पाया।
फूलों को देखा,
नशीली महक में,
तुम को पाया।
आग को देखा,
उसकी तपन में,
तुम को पाया।
जहाँ भी देखा.
हर कण कण में,
तुम को पाया।
आयना हुँ मैं
ख़ुद को ही पाओगी,
जब देखोगी।
अब से तुम,
जीओ अपनी तरह,
मैं तो जी लूँगा।
सितारा मैं भी,
ईर्श्या क्यों करनी,
सितारा तु भी ।
बनो चुम्बक,
मंत्रमुग्ध हो जाए,
दुनिया सारी।
देने के लिये,
जिओ सारी ज़िंदगी,
लेते सब हैं ।
एसा करो की,
दुनिया याद करे,
जाने के बाद ।
तु भी हैं ख़ुश,
संयोग हुआ ऐसा,
मैं भी हुँ ख़ुश ।
अपना लिया,
छु कर मन मेरा,
कहाँ थी तुम ।
पसंद मुझे,
बारीश में भीगना,
बड़ा क्युँ हुआ?
पत्थर दिल,
समझें मुझे सब,
एेसा ही हुँ मैं ।
अज्ञानता है,
व्यर्थ कुछ भी नहीं,
ज्ञान को बढ़ा ।
इतना उठो,
कुर्सी रहे ना रहे,
ऊंचाई रहे ।
खोद ले मुझे,
इंतज़ार करना,
गाढुंगी तुझे ।
मेरा अमृत,
मिटा नहीं सकता,
तेरे विष को ।
मैं जो सोया था,
मिलन कैसे होता,
तु भी सोई थी ।
सुने कोई तो,
खामोशी की आवाज़,
पर वक्त किसे?
चाह है मुझे,
रिश्ता निभेगा जब,
तुम चाहो तो ।
ख़ामोशी भली,
तुम्हारी कटुता से,
आहत हुँ मैं ।
कमियाँ है सौ,
अपने आप को चाहु,
तुझे क्युँ नही?
जब सुख में,
याद करें मुझको,
दुख हो ही क्यों।
क्षमा याचना,
विनती है आपसे,
क्षमा बाँटना ।
जो आप देंगे,
उधार हैं मुझ पे,
वापस दूँगी ।
जिओ ऐसे की,
पर्दा गिरे तो भी,
तालियाँ रहे ।
अहं आकार,
मिटा नहीं पाया,
जीना बेकार ।
ठोकर खाई,
तोहमत मत दो,
बढ़ते चलो ।
अंधेरे में था,
गुरुदेव नमन,
दिन दिखाया ।
इस घर में,
सब एक हैं पर,
भाग्य अलग ।
मिट जाएगा
सारा अर्जित मान,
क्रोध ना कर ।
सकारात्मक,
सोच एवं शब्द,
ऊँचा उठा दे ।
क़दम उठे,
जब सही दिशा में,
मंजील मिलें।
मिलेगा सब,
जो तुम चाहते हो,
माँगो तो सही ।