अपनी भावनाओं को सोच समझ कर साझा करें
दुःख / खुशी को साझा करना
मैंने कहीं पढ़ा है कि हमें अपने दर्द या समस्या को हमेशा लोगों के साथ साझा नहीं करनी चाहिए । क्योंकि 50% लोगों को आपकी समस्याओं में कोई दिलचस्पी नहीं होती तथा बाकी बचे ५०% लोग आपको दुःख / समस्या में देखकर सुख की अनुभूति करते हैं । इस बात ने मुझे यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि किसी को अपने सुखों को भी साझा करना चाहिए या नहीं । क्योंकि 50% लोगों को आपके सुख में कोई दिलचस्पी नहीं होगी और बाकी बचे ५०% आपसे ईर्ष्या करेंगें ।
सोशल मीडिया के इस युग में यह सवाल और अधिक प्रासंगिक हो गया है कि किसी को अपना दुःख / खुशी साझा करनी चाहिए या नहीं । कई बार हम फेसबुक या अन्य नेटवर्किंग साइटों पर अज्ञात व्यक्तियों को अपने दोस्तों के रूप में स्वीकार करते हैं । हां और कभी-कभी हम सार्वजनिक रूप से महत्वहीन मामलों को भी साझा करते हैं । और जिन लोगों ने आपको देखा भी नहीं होता वो उस पर तीव्र टिप्पणीयां करते हैं । वास्तव में वो ऐसा लगता है कि यह केवल खुशी या चिंता का दिखावा करने का एक कृत्रिम शो चल रहा है ।
अनुसंधान से पता चलता है कि सामान्य रूप से पुरुष महिलाओं की तुलना में अपने दुःख को साझा करने में अधिक संकोच करते हैं पर अपनी खुशी को जाहिर करने में काफी उदार होते हैं । शायद पुरुष अधिक लक्ष्य उन्मुख होते हैं और जैसे ही वे अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं वे पूरी दुनिया को इसका खुलासा करना पसंद करते हैं । तथा वे अपने दुःख को छुपाना पसंद करते हैं क्योंकि इससे उनकी कमजोरी सामने आयेगी । जबकि महिलाएं अधिक भावना प्रधान होती हैं जिसकी वजह से वो दुःख या खुशी के बारे में राय के मतभेदों के बावजूद उनको साझा करती है ।
पुराने दिनों में ऐसा माना जाता था कि यदि आप अपना दुःख साझा करते हैं तो वह आधा रह जाता है और यदि आप अपनी खुशी साझा करते हैं तो वह दोगुनी हो जाती है । लेकिन क्या यह की ऐसी दुनिया में भी प्रासंगिक है, जहां लोग आपकी प्रगति से ईर्ष्या करते हैं और छुप कर आपके दुःख में खुशी का एहसास करते हैं ? इसका निष्कर्ष निकालना वास्तव में एक कठिन कार्य है ! हालांकि, मैं निम्नलिखित टिप्स के ज़रिये दुःख और खुशी साझा करने के बारे में अपने व्यक्तिगत विचार देना चाहूंगा ।
दर्द और खुशी साझा करने के बारे में 5 टिप्स:
1. अपना दुःख वास्तव में जो आपके करीबी लोग है उन्ही के साथ साझा करें । उन लोगों के साथ साझा करें जो वास्तव में आपकी चिंता करते हैं या उस दुःख को कम करने की क्षमता रखते है ।
2. आनंद को यथासंभव विनम्र तरीके से साझा करें ।
3. याद रखें कि दुःख और खुशी दोनों की अवधि कम होती है । समय बीतने के साथ-साथ या तो वह अप्रासंगिक हो जाता है या दुःख, सुख में परिवर्तित हो सकता है । दोनों का ही बहुत ज्यादा प्रदर्शन अच्छा नहीं है ।
4. दुःख या खुशी साझा करते समय अपनी भावनात्मक बुद्धिमत्ता का उपयोग करें । इन्हें साझा करने से पहले समय, व्यक्ति और परिस्थिति को ध्यान में रखा जाना चाहिए ।
5. दोनों का सार्वजनिक प्रदर्शन को कम से कम किया जाना चाहिए ।
सुख दुःख अपना बाँटिये, रखिये मगर ख्याल ।
कभी प्रदर्शन ना करें, दोनों का हर हाल ।।
For English Blog: http://nectarofwisdom.in/2019/12/23/share-feelings-selectively/