भवान्भीष्मश्च कर्णश्च कृपश्च समितिंजय:।
अश्वत्थामा विकर्णश्च सौमदत्तिस्तथैव च ॥
कृपा, भीष्म व कर्ण हैं, कभी न हारे आप।
विकर्ण अश्वत्थामा भी, भूरिश्रवा का ताप ॥1-8॥
कभी न हारने वाले आप, पितामह भीष्म, कर्ण, कृपाचार्य, अश्वस्थामा, विकर्ण, सोमदत्त के पुत्र भूरिश्रवा, सिन्धुराज एवं जयद्रथादि शूरवीर मेरे पक्ष में है।
There are personalities like you, Bhisma, Karna, Krpacharya, Asvatthama, Vikarna and the son of Somadatta called Bhurisrava, who are always victorious in battle.