Nectar Of Wisdom

हालांकि हफ्ते के बीच का दिन था फिर भी मुझे एक व्यस्त रेस्टोरेंट में बैठने के लिए आधा घंटा इंतज़ार करना पडा और उसके बावजूद भी मुझे रसोई घर के दरवाजे के पास एक सीट एक दी गई । अचानक से मेरी निग़ाह रसोई घर के दरवाज़े पर लगे एक बोर्ड पर पड़ी जहा लिखा था कि “मेहमानों को रसोई घर में आने की इजाज़त है” । मैं बहुत खुश हुआ ! क्योकि अभी तक मैंने रसोईघरों के बोर्ड पर केवल यही लिखा हुआ पढ़ा था कि केवल स्टाफ ही अन्दर आ सकता है । अपना खाना आर्डर करने के बाद बीच में कुछ इंतज़ार के समय में मैंने अपने वेटर से रसोई घर के अन्दर जाने की इच्छा जताई । रसोई मेरी सोच से भी परे साफ़ और सुथरी थी । रसोई घर के कर्मचारी ने मुस्कुराहट के साथ अपना सर हिलाया और अचानक से एक ख़याल मेरे दिमाग में कौंधा कि यह ज़रूरी नहीं जो खाना स्वादिष्ट हो उसका रसोई घर साफ़ सुथरा हो या इसका उल्टा । यह बात हर प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देने वाली चीज के सन्दर्भ में सच है ।

यदि आप किसी के घर जाते है और घर का मेहमानों वाला कमरा बहुत ही साफ़ सुथरा और आकर्षक है तो यह ज़रूरी नहीं कि उस घर के भीतर भी सब जगह खुशहाली और शांती का वास होगा । जब आप फल और सब्जी खरीदते है तो उनकी गुणवता का पता उनको काटने या पकाने पर ही पता चलता है । हमने पढ़ा है कि जो देखो उस पर ही विश्वास करना चाहिए परन्तु अधिकतर चीजों को जबतक हम अन्दर झांक कर नही परखते या वो खुद सामने नहीं आ जाती हम पहचान नहीं पाते और अंत में वो मिथ्या ही निकलती है । किसी वस्तु की अपेक्षा लोगों को जानना अधिक मुश्किल है क्योकि लोग समय और परिस्थिति के अनुसार बदलते रहते है । फिर भी इसका यह मतलब नहीं कि हम जो देखते है उसपर विश्वास नहीं करना चाहिए पर हकीकत तो यह है कि सच्चाई तो प्याज़ के छिलके के जैसी होती है आप हटाते जाइए और परते खुलती जायेगीं ।

भागवद गीता में कहा गया है कि हमारा संसार लक्ष्यपरक नहीं बल्कि व्यक्तिपरक, कोमल, अंतहीन एवं परिवर्तनशील है । हमारे होश – जिन रास्तों के ज़रिए संसार के बारे में डाटा इकठ्ठा करते है वो भी तो अविश्वसनीय और मिथ्या के प्रवर्तक है । वो हमें सीधे लक्ष्यपरक संसार की और नहीं ले जाते बल्कि वो हमें मिथ्य निश्पक्षवाद का आभास कराते है ।

मिथ्या संसार से व्यहवार की ५ टिप्स

 

  • कुछ सार्वभौमिक सिद्धांतों को छोड़ कर कुछ भी पूर्ण रूप से सत्य नहीं है । सही और गलत सापेक्ष है । यह सब समय और परिस्थिति पर निर्भर करता है और प्रत्येक मानव के अनुसार बदलता रहता है ।
  • ना तो किसी पर पूरा १००% विश्वास करो और ना ही १००% अविश्वास . सदैव विशलेषणात्मक, तेजनज़र और सचेत रहें ।
  • चीज़े न तो अच्छी है ना बुरी . वो बस सिर्फ है. वो आपके काम की हो सकती है और नहीं भी हो सकती है ।
  • लोग मुश्किल नही होते बल्कि वो अलग स्वभाव के होते है और समय तथा परिस्थिति के अनुसार बदलना मानव स्वभाव है इसलिए कभी हैरान मत होइए ।
  • कुछ भी स्थाई नहीं है । बदलाव प्रकृति का बुनियादी गुण है । बदलाव को पूरे दिल से स्वीकार करें नहीं तो दुःख के साथ तो स्वीकारना ही पड़ेगा ।

 

नहीं झूठ कुछ भी यहाँ, न ही सत्य का सार ।
समय समय का खेल है, माया यह संसार ।

 

For English Blog: http://nectarofwisdom.in/world-is-illusion/

 

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