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आत्म संयम प्राप्त करने के लिए अपने दिमाग, शारीर, दिल और आत्मा को पंक्तिबद्ध कैसे करें । इस ब्लॉग को लिखना शुरू करने से पहले मैं सोचता था कि हम अपने आप को नियंत्रित रख सकते है और दूसरों को नहीं । हालांकि जब मेरे मित्र ने मुझसे पूछा कि हम अपने दिमाग, शारीर, दिल और आत्मा को कैसे नियंत्रित कर सकते है उस समय मैंने मैंने जाना कि खुद को नियंत्रित करना भी कितना कठिन है । जब हम अपने दिमाग, शारीर, दिल और आत्मा पर थोडा भी नियंत्रण नहीं कर पाते तो सोचिए दूसरों के ऊपर हमारा नियंत्रण कर पाना कितना कठिन होगा । हम गलतफहमी के शिकार हो सकते है कि हम अपनी बीवी, बच्चों या अधिनस्तों को नियंत्रित कर रहे है पर हकीकत में हम अपनी स्थिति और अधिकार के कारण कुछ समय के लिए केवल उनके शारीर या दिमाग को नियंत्रित करते है । हालाँकि सम्पूर्ण इंसान पर आपका कोई नियंत्रण नहीं होता । कुछ महान लोग दूसरों को नियंत्रित करने का करिश्मा जानते है अगर पूरा नहीं तो कम से कम उनके जीवन के एक हिस्से को तो वो नियंत्रित कर ही सकते है परन्तु पूर्ण रूप से किसी को नियंत्रित कर पाना असंभव है ।

सबसे महतवपूर्ण है की हम अपने दिमाग, शारीर, दिल और आत्मा को पंक्तिबद्ध (एकरूप) करें । शरीर में समझ, भावनाएं, दिमाग और बुद्धि समाहित है । हमरी समझ बहार के वातावरण से इनपुट प्राप्त कर भावनाएं विकसित करती है । भावनाएं हमारी चेतना को जगाती है । पिछले अनुभवों, आंतरिक अनुभूतियों और चेतना के आधारपर हमरी बुद्धि हमें निर्णय लेने में मदद करती है । अधिकतर ऐसा इसलिए होता है क्योकि हमारी समझ, चेतना, भावनाएं और पिछले अनुभव पंक्तिबद्द नहीं है । इस तरह के केस में बुद्धि विवेक और भावनाएं के आगे झुक जाती है जो कि हमारी अनुभूतियों और आंतरिक आवाज के विपरीत होती है । गीता में इसको पांच रथों के रूप में बहुत ही सुन्दर ढंग से वर्णित किया गया है जिनके पांच घोड़े हमारी पांचो चेतनाओं का व्याख्यान करती है । घोडो की लगाम दिमाग है । रथ चलाने वाली बुद्धि है । यात्री आत्मा है । आप अनुमान लगा सकते है यदि दिमाग, शारीर, दिल और आत्मा एकरूप नहीं होगें तो मनुष्य एक नियंत्रण हीन रथ की तरह हो जाएगा । सवाल यह है कि इन सब को एकरूप कैसे किया जाए ।

दिमाग, शारीर, दिल और आत्मा को पंक्तिबद्ध करने की ५ टिप्स

 

  • यात्रा का आरम्भ अपने अन्दर से करें । हममे से अधिकतर पैसे, पॉवर, प्रसिद्धि और लस्ट के पीछे दौड़ते है । हम आंतरिक एकता के बिना बाहरी यात्रा भी नहीं कर सकते ।
  • योग एवं प्राणायाम से अपने शरीर पर अच्छा संयम बनाए रखे ।
  • नियमित मैडिटेशन से अपने दिमाग और बुद्धि पर अच्छा नियंत्रण रखें ।
  • हममे से अधिकतर अपने ट्रैक से हट जाते है । इस राह पर सफलता पाने की चाबी जिद्द है ।
  • अपनी यात्रा में पुराने अपराधों को साथ ले कर न चले ।

यथा चित्तं तथा वाचो यथा वाचस्तथा क्रिया: ।
चित्ते वाचि क्रियायांच साधुना मेक्रूपता । ।

अच्छे लोगों के मन में जो बात होती है, वे वही वो बोलते है,
और ऐसे लोग जो बोलते है, वही करते है ।
सज्जन पुरषों के मन, वचन और कर्म में एकरूपता होती है ।

तन से मन को जोड़ता, केवल एक प्रयोग ।
अंतस तक लेकर चले, नियम प्रमाणित योग ।

 

 

For English Blog: http://nectarofwisdom.in/how-to-align-mind-body-heart-and-soul/

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