- प्रथमोऽध्याय: अर्जुनविषादयोग ॐ
धृतराष्ट्र उवाच
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सव:।
मामका: पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय॥
धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र का, बोलो संजय हाल।
कौन कैसे और कहाँ, पांडव – मेरे लाल॥1-1॥
धृतराष्ट्र ने कहा – हे संजय! धर्मरुपिस्वरुप कुरुक्षेत्र में मेरे पुत्रों तथा पाण्डुपुत्रों ने युद्ध की इच्छा से एकत्रित होने के पश्चात् क्या किया?
Dhrtarastra said: O Sanjaya, after my sons and the sons of Pandu assembled in the place of pilgrimage at Kuruksetra, desiring to fight, what did they do?