Nectar Of Wisdom

हम सब एक जैसे होते हुए भी सभी अद्वितीय है । इसको विरोधाभास या व्यंग भी कहा जा सकता है । परंतु यह प्रकृति का सत्य है । हम सबके शरीर, अंग, सिंगार एक जैसे दिखाई देते हुए भी विज्ञान ने यह साबित कर दिया है कि हम सबके पसीने की बूंद तक भी अद्वितीय है । एक ही समय, एक ही स्थान, एक जैसी परिस्थितियों में होते हुए भी हम भिन्न तरीको से सोचते, बात करते, क्रिया करते और यहाँ तक कि प्रतिक्रिया भी भिन्न तरीकों से करते है । देखा जाए तो यह वास्तव में अद्भुत है ! हमारे वही माता-पिता, वही गुरुजन, वही दोस्त होते हुए भी हम सब लोग भिन्न तरह से व्यहवार करते है । हमरी प्रतिभा और हमारे कौशल भी भिन्न है । उपनिषदों में जिक्र किया गया है कि “एको ब्रम्हा द्वितीयो नास्ति” अर्थात जो भी बनाया गया है वह एक और केवल एक है उसकी दूसरी प्रतिलिपि उपलब्ध नहीं है ।

यह एक विडंबना है कि माता पिता अपने बच्चों को उनके स्वरुप में स्वीकार ना करते हुए वो सदा उनकी तुलना उनके दूसरे भाई बहनों से करते रहते है । जब बच्चे बड़े हो जाते है तब माता पिता और गुरुजन उनकी तुलना उनके दूसरे साथी विद्यार्थियों से करने लगते है और जब वो व्यस्क हो जाते है तो उनके माता पिता उनकी तुलना उनके दोस्तों और साथियों से करने लगते है । इस सारी प्रक्रिया में हम अपनी वास्तविक प्रकृति को खो बैठते है । ना तो हम दूसरो के जैसे बन पाते है और ना ही हम अपने असल में रह जाते है । इसलिए दूसरो से तुलना करने का कोई लाभ नहीं यदि तुलना करनी ही है तो अपनी तुलना स्वयं से करें ।

तुम अद्वितीय हो और अन्य सब भी अद्वितीय है । अपनी अद्वितीय क्षमताओं और जुनून को खोजने की कोशिश करो । अपने अद्वितीय गुणों के विकास और पोषण में कम प्रयास करना पड़ता है, जिससे शीघ्र परिणाम, अच्छी समझ, मजबूत रिश्ता, शीघ्र सफलता और अधिक प्रसन्नता प्राप्त होती है ।

अपने अद्वितीय गुणों को खोजने के लिए ५ टिप्स:

 

  • आप अपने माता पिता, स्कूल के अध्यापकों को अपना रिपोर्ट कार्ड देखने का निवेदन कर सकते है । अगर आपके बच्चे है तो उनके अद्वितीय गुणों के जानने के लिए आप उनको ध्यान से देखें और उनकी द्वरा की जा रही गतिविधियों पर ध्यान दे ।
  • भूत काल में किए गए उस कार्य को खोजिए जिसे घंटो करने के बावजूद भी आपने थकान महसूस नहीं की वरण उस कार्य को करने में आपने सबसे अधिक आनंद प्राप्त किया था ।
  • सायकोमेट्रिक टेस्ट कराएँ और ज़रूरत के अनुसार परामर्शदाता और विशेषज्ञों की मदद लें ।
  • योग – ध्यान और आत्म निरिक्षण करें ।
  • निष्काशन विधि को अपनाएं । जिन कार्यो को आप करना पसंद ना करते हो उन्हें करना छोड़ दें । आप स्वयं ही जान जायेगें कि आपको क्या करना सबसे अधिक प्रिय है ।

 

होता है हर आदमी, इकलौता ये जान ।
समय, स्थान या परिस्थिति, चाहे रहे सामान ।

 

 

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