Nectar Of Wisdom

यह एक बच्चे की वास्तविक कहानी है, जिसने कक्षा आठवीं तक अनुग्रह अंकों के बिना एक भी परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की, कक्षा सातवीं और नौवीं में दो बार अनुत्तीर्ण हुआ. हिन्दी माध्यम से स्नातक हुआ और पिता की हार्दिक इच्छा के चलते सीए हो गया. वह बच्चा, मैं हूँ. आज मेरे हिस्से में जो थोड़ी-बहुत सफलता है, उसका सारा श्रेय मेरे पिता और हासिल शिक्षा को जाता है.

शिक्षा सतत जारी रहती है. मेरी इच्छा है कि मैं आखिरी सांस तक अध्ययन करता रहूँ. मैं जैन धर्मावलम्बी हूँ और पुनर्जन्म में यकीन करता हूँ. अगले जन्म में मैं संस्कृत सीखने में सारा जीवन समर्पित कर दूँगा ताकि वेद, उपनिषद, गीता एवं अन्य धर्मग्रन्थों का अध्ययन कर सकूँ. उनमें हमारे ऋषियों द्वारा अर्जित, प्रज्ञा गुप्त ज्ञान के रुप में समाहित हैं. मेरी अभिलाषा है कि मैं भी उनका रसपान करूं.

शिक्षा अनुभवों का विस्तार करती है, जिससे व्यक्ति उच्च दृष्टि, वैचारिक स्पष्टता, वाग्मिता और कर्म-शुचिता प्राप्त करता है. शांत एवं सुखमय जीवन बिताने में अच्छी शिक्षा ही मददगार होती है.

सतत ज्ञानार्जन के पाँच उपाय
१. अपनी संतान को यथासंभव अधिकाधिक शिक्षित कीजिए.
२. औपचारिक शिक्षा की समाप्ति के बाद भी किताबें, पत्रिकाएं पढ़ते हुए तथा प्रदर्शनियों एवं कार्यशालाओं में सहभागी होकर सीखना जारी रखिए.
३. खूब यात्रा कीजिए, इससे अनुभवों का विस्तार होता है.
४. हरेक चीज के अवलोकन को अपना मिज़ाज बनाइए.
५. लेखन की भी आदत विकसित कीजिए.

 

शिक्षा से अनुभव बढ़े, दृष्टि का विस्तार।
जीवन भर पढ़ते रहे, ज्ञान का हो संचार॥

 

For English Blog: http://nectarofwisdom.in/education-widens-horizon/

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